TV28 Bharat
  • Home
    • Home – Layout 1
  • News
  • Politics
  • Business
  • Culture
  • Opinion
  • Lifestyle
No Result
View All Result
English
No Result
View All Result
Home Business

Why CPC’s rhetoric of invading Taiwan by force doesn’t make strategic sense for China | Opinion: ताइवान ने तरेरी आंखें, चीन में बज गई खतरे की घंटी

Admin@tv28.in by Admin@tv28.in
June 15, 2020
in Business, Culture, Lifestyle, National, News, Opinion, Politics, Sports, Travel, Uncategorized
0
Why CPC’s rhetoric of invading Taiwan by force doesn’t make strategic sense for China | Opinion: ताइवान ने तरेरी आंखें, चीन में बज गई खतरे की घंटी
0
SHARES
31
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

Related posts

Donald Trump Accused His Opponent Joe Bidden Of Taking Performance Enhancing Drugs – Us Election 2020: राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रतिद्वंद्वी बिडेन पर लगाया ड्रग्स लेने का आरोप

Donald Trump Accused His Opponent Joe Bidden Of Taking Performance Enhancing Drugs – Us Election 2020: राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रतिद्वंद्वी बिडेन पर लगाया ड्रग्स लेने का आरोप

September 15, 2020
Terrorists Successfully Attempted Infiltration 111 Times In Jammu Kashmir In Last One Year – जम्मू-कश्मीर में आतंकी सीमापार से एक साल में 111 बार घुसपैठ करने में सफल रहे

Terrorists Successfully Attempted Infiltration 111 Times In Jammu Kashmir In Last One Year – जम्मू-कश्मीर में आतंकी सीमापार से एक साल में 111 बार घुसपैठ करने में सफल रहे

September 15, 2020


ताइवान में 21 अप्रैल से 28 मई तक किए गए एक सर्वे के मुताबिक, 75.3 प्रतिशत लोग खुद को “ताइवानी” मानते हैं, 20 प्रतिशत ने ताइवान और चीन दोनों को चुना. सिर्फ 4.7% लोग खुद को चाइनीज मानते हैं. सर्वे से साफ है कि इस साल जनवरी में हुए चुनावों में राष्ट्रपति साई की जीत के बाद ताइवान में राष्ट्रवाद को नई ताकत मिली है. साई के फिर से राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने के बाद से, चीन सरकार ने साई को ताइवान को स्वतंत्र घोषित करने की लक्ष्मण रेखा पार करने से रोकने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है.
 
इसके अलावा, एक बयान में, पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) ने ताइवान को फिर से मिलाने की बात करते हुए ‘शांतिपूर्ण’ शब्द हटा दिया जिसके बाद मीडिया में ये चर्चा तेज हो गई कि बीजिंग जबरन ताइवान को अपने में मिलाने की तैयारी कर रहा है. ये अटकलें तब और तेज हो गईं जब PLA के ताइवान स्ट्रेट में सैन्य अभ्यास के साथ-साथ जल और थल में भी कुछ ऑपरेशन को अंजाम दिया.

ताइवान की स्थिति
20 मई को शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने अपने उद्घाटन भाषण में ताइवान स्ट्रेट में शांति और स्थिरता के लिए प्रयास जारी रखने की कसम खाई, ये कहते हुए कि उनका देश बीजिंग के “एक देश, दो सिस्टम” को स्वीकार नहीं करेगा. इससे निश्चित रूप से बीजिंग में खतरे की घंटी बज गई है. ताइवान ने कोरोनो वायरस पर काबू पाने में दुनियाभर के ज्यादातर देशों को पीछे भी छोड़ दिया. बीजिंग की जबर्दस्ती के बावजूद ताइवान ने जहां वैश्विक सद्भावना हासिल की है वहीं चीन ने निरंतर आक्रामकता और अतिवाद से दुनिया को अपने खिलाफ किया है.

ताइवान के दुनियाभर में चिकित्सा उपकरणों को मुफ्त में देने से बीजिंग के पीआर कैंपेन को झटका लगा है जिसमें वो अपने ‘हेल्थ सिल्क रोड’ के जरिए महामारी से फायदा लेने का प्रयास कर रहा था. इस ट्रैक रिकॉर्ड ने न केवल ताइवान को पिछले महीने की वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में नए सिरे से शामिल होने की अनुमति देने के लिए प्रोत्साहित किया, बल्कि भविष्य की चर्चाओं के लिए भी उसकी जगह बना दी, क्योंकि ताइवान को WHO और दूसरे बहुपक्षीय संगठनों में शामिल किए जाने को लेकर दुनिया में एक सहमति बनती नजर आ रही है.

Tiwan

ताइवान के पास राष्ट्रीय दर्जा मांगने के अपने कारण हैं. जब से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) ने पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) को अपने नियंत्रण में लिया और 1949 में रिपब्लिक ऑफ चाइना (ROC) की सरकार भाग कर ताइवान चली गई, तब से ताइवानी इतिहासकार बताते हैं कि वे पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करते हैं और एक सिविल वॉर में महाद्वीप PRC को गंवा बैठे, जिसे अभी तक आधिकारिक तौर पर समाप्त घोषित नहीं किया गया है. 26 दिसंबर, 1933 को मोंटेवीडियो कन्वेंशन में राइट्स एंड ड्यूटीज ऑफ स्टेट्स पर हस्ताक्षर किए गए, जो कि स्टेटहुड पर अहम दस्तावेज है. 

इस कन्वेंशन के अनुच्छेद 1 के अनुसार एक राज्य में “ए) एक स्थायी आबादी; बी) एक परिभाषित क्षेत्र; सी) सरकार; और डी) अन्य राज्यों के साथ संबंध बनाने की क्षमता होती है.” ताइवान स्पष्ट रूप से स्टेटहुड के लिए इन आश्यकताओं को पूरा करता है. ये एक लोकतांत्रिक समाज है, जिसमें निर्वाचित सरकार, अपना संविधान, खुद की रक्षा सेना, अपनी मुद्रा और मजबूत अर्थव्यवस्था है. ताइवान डब्ल्यूटीओ, पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन काउंसिल, एशिया पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन फोरम में चीनी ताइपे के तौर पर सदस्य है और अब तक इसी नाम से ओलंपिक में भाग लेता रहा है. 

एक आर्थिक और तकनीकी दिग्गज होने के नाते, ताइवान अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में और बड़ी पोजिशन और भूमिका पाने के लिए इच्छुक है. ताइवान में, डीपीपी सरकार ताइवान स्ट्रेट में चीनी विमान वाहक के चलने के बावजूद भयभीत नहीं दिखती. वास्तव में, ताइवान ने हिम्मत दिखाते हुए चीन की जोर जबर्दस्ती को खारिज कर दिया और हांगकांग के प्रदर्शनकारियों के समर्थन में खड़ा हो गया. इसने स्वयंभू तरीके चलाए जा रहे हांगकांग के लोकतंत्र के लिए लड़ने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं को समर्थन देने का वादा किया और उन्हें शरण देने पर विचार किया.

चीन के दांव 
बीजिंग के गुस्से ने कुछ सीपीसी समर्थकों को ये सोचने के लिए उकसाया कि शांतिपूर्ण तरीके के बजाय महामारी की स्थिति का इस्तेमाल करके ताइवान को मिला लिया जाए. मेरी राय में, ताइवान को बलपूर्वक हासिल करना न तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और न ही घरेलू स्तर पर कोई रणनीतिक समझदारी है. इसमें सब नुकसान हैं और झूठी बहादुरी को छोड़कर कोई फायदा नहीं है, जिसमें इस बात की पूरी संभावना है कि आप दुनियाभर के साथ अपने घर में भी चेहरा दिखाने लायक नहीं रहेंगे. 

पीएलए एयरफोर्स के रिटायर्ड मेजर जनरल और चीन के रणनीतिकार किआओ लियांग ने चेतावनी दी है कि कोरोनो वायरस महामारी को बलपूर्वक ताइवान को वापस लेने के अवसर के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. “ताइवान के परमाणु संपन्न होने या आजाद घोषित करने” की चीन की लक्ष्मण रेखा को अभी तक पार नहीं किया गया है, ऐसे में इस तरह के विकल्प को अपनाने का कोई औचित्य नहीं है.

Tsai

राष्ट्रीय भावना से भरपूर, मजबूत सशस्त्र बल से लैस और अमेरिकी समर्थन रखने वाले ताइवान पर आसान जीत की उम्मीद नहीं की जा सकती. ताइवान पर कब्जा करने के लिए चीन की जल-थल क्षमता सवालों के घेरे में है, उस पर चारों तरफ अमेरिकी युद्धपोत भी तैनात हैं. ताइवान को नष्ट करने के लिए चीन के पास पर्याप्त मिसाइल शस्त्रागार हैं, लेकिन हान चाइनीज (ताइवान की 95 प्रतिशत आबादी हान है) का इतना बड़ा विनाश करने से चीन की घरेलू आबादी के लिए अच्छा नहीं होगा क्योंकि हान चाइनीज के चीन में रिश्तेदार तो हैं ही, बड़े निवेश भी हैं और ऐसा ही ताइवान में चीन के लोगों के साथ भी है.

चीन ताइवान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसने ताइवान के कुल निर्यात का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा लेकर अमेरिका को नंबर वन से हटाकर अपनी जगह बना ली है, जिसके कारण ताइवान का चीन के साथ लगभग 2.27 बिलियन डॉलर का ट्रेड सरप्लस है. ऐसे में, क्रॉस-स्ट्रेट वॉर भी चीन के आर्थिक हित में नहीं है. ताइवान को अपने नियंत्रण में लेने से चीन में भी नए सिरे से लोकतांत्रिक लहरें उठेंगी, जिसमें हांगकांग पहले से ही उबाल पर है. ताइवान के लोग अपनी लोकतांत्रिक आजादी और खुशहाली का त्याग नहीं करना चाहते, जो साई की सफलता का मुख्य कारण है. 

अमेरिका की भागीदारी 
पीआरसी ताइवान को अपना घरेलू मुद्दा बनाने का दावा करती रहती है, लेकिन इसके बाहरी आयाम बहुत अधिक हैं.  कूटनीतिक रूप से अमेरिका ‘वन चाइना पॉलिसी’ का पालन करने का दावा कर सकता है, लेकिन वो ताइवान को सहयोगी से कम नहीं मानता है. ताइवान रिलेशन एक्ट, 1973, पिछले साल साइन किया गया ताइवान ट्रैवल एक्ट, स्टेट ऑफ़ द आर्ट वेपनरी और संयुक्त अभ्यास इस बात का प्रमाण हैं. यूएस हमेशा बीजिंग के प्रभाव के बाहर वाले लोकतांत्रिक ताइवान के साथ व्यापार और रणनीतिक साझेदारी करना पसंद करेगा, न कि सीसीपी के तहत ताइवान के साथ. 

ताइवान पर पीएलए की ओर से बल प्रयोग करने से वॉशिंगटन तुरंत युद्ध की घोषणा करने के लिए प्रेरित नहीं होगा, लेकिन वो इस क्षेत्र में समुद्र और वायु क्षेत्र का इस्तेमाल करने के लिए अपने सहयोगियों के साथ सेना में शामिल हो सकता है ताकि साउथ चाइना सी के भीतर और बाहर बीजिंग का समुद्री वर्चस्व कम किया सके. 

इसलिए बलपूर्वक ताइवान को अपने अधिकार में लेने के लिए चीन को अपने सभी युद्ध संसाधनों को जुटाना होगा, जिसके बाद लिमिटेड वॉर से लेकर ऑल-आउट वॉर तक बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि ये ऑपरेशन अमेरिका की “ताइवान की स्थिति में कोई बदलाव नहीं” की लक्ष्मण रेखा को पार करेगा. जाहिर है चीन को अपने गलत रणनीतिक अनुमान के दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते हैं. आर्थिक रूप से चीन की अमेरिकी डॉलर पर भारी निर्भरता अभी खत्म होने से काफी दूर है, ऐसे में ताइवान को लेकर जंग से चीन को भारी आर्थिक झटका लग सकता है, जिसका नतीजा ये होगा कि बड़ी पूंजी देश से बाहर चली जाएगी और कंपनियां भी इतनी तेजी से देश छोड़ देंगी कि सोचा भी नहीं जा सकता. 

(डिस्क्लेमर: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.)





Source link

Previous Post

Delhi Police Special cell issued notice to interrogate Delhi Minority Commission Chairman Zafarul Islam Khan in Sedition case | दिल्ली: देशद्रोह के मामले में जफरुल इस्लाम से पूछताछ करेगी स्पेशल सेल, भेजा नोटिस

Next Post

Earthquake in Delhi-NCR and experts opinion|2 महीने में 14 बार धरती का कंपन किसी बड़े भूकंप का संकेत तो नहीं?

Next Post
Earthquake in Delhi-NCR and experts opinion|2 महीने में 14 बार धरती का कंपन किसी बड़े भूकंप का संकेत तो नहीं?

Earthquake in Delhi-NCR and experts opinion|2 महीने में 14 बार धरती का कंपन किसी बड़े भूकंप का संकेत तो नहीं?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RECOMMENDED NEWS

Rajasthan Political Crisis: Digvijay Singh said sachin pilot is like my son, he did not pic up my phone | सचिन पायलट को लेकर भावुक हुए दिग्विजय, बोले- वो मेरे बेटे जैसा, फोन तक नहीं उठाया

Rajasthan Political Crisis: Digvijay Singh said sachin pilot is like my son, he did not pic up my phone | सचिन पायलट को लेकर भावुक हुए दिग्विजय, बोले- वो मेरे बेटे जैसा, फोन तक नहीं उठाया

9 months ago
Corona: wife of a doctor who lost his life to covid 19 said We will remember him as a warrior | कोरोना से जान गंवाने वाले LNJP के डॉक्टर की पत्नी ने जो कहा, वो जानकर आप गर्व करेंगे

Corona: wife of a doctor who lost his life to covid 19 said We will remember him as a warrior | कोरोना से जान गंवाने वाले LNJP के डॉक्टर की पत्नी ने जो कहा, वो जानकर आप गर्व करेंगे

9 months ago
8 people died in one day total and cases exceed 12500 in Madhya Pradesh | Corona Update: मध्य प्रदेश में एक दिन में 8 लोगों की मौत, कुल मामले 12500 के पार

8 people died in one day total and cases exceed 12500 in Madhya Pradesh | Corona Update: मध्य प्रदेश में एक दिन में 8 लोगों की मौत, कुल मामले 12500 के पार

10 months ago
DNA ANALYSIS: India bans chinese companies to participate in infrastructure projects | DNA ANALYSIS: चीन पर प्रधानमंत्री मोदी की ‘स्वदेशी’ स्ट्राइक

DNA ANALYSIS: India bans chinese companies to participate in infrastructure projects | DNA ANALYSIS: चीन पर प्रधानमंत्री मोदी की ‘स्वदेशी’ स्ट्राइक

9 months ago

FOLLOW US

  • 85 Followers
  • 54.4k Subscribers

BROWSE BY CATEGORIES

  • Business
  • Culture
  • Lifestyle
  • National
  • News
  • Opinion
  • Politics
  • Sports
  • Travel
  • Uncategorized
  • About
  • Advertise
  • Careers
  • Contact

© 2020 TV28 Bharat is Owned by TV28 Media Private Limited

No Result
View All Result
  • Home
  • Politics
  • News
  • Business
  • Culture
  • National
  • Sports
  • Lifestyle
  • Travel
  • Opinion

© 2020 TV28 Bharat is Owned by TV28 Media Private Limited